बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर -
विकास के संकेतक
राष्ट्रीय आय के आकलनों (और तत्सम्बन्धित प्रति व्यक्ति आय के आकलन) को आर्थिक संवृद्धि के संकेतकों के रूप में प्रयुक्त किया गया है। किन्तु संवृद्धि की अपेक्षा आर्थिक विकास एक व्यापक अवधारणा है। दोनों के बीच अन्तर को समझ लेना अति महत्वपूर्ण है। आर्थिक
संवृद्धि एवं आर्थिक विकास
“मूल्यवर्द्धन के रूप में मापित, वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन में वास्तविक रूप से वृद्धि जो लम्बे समय तक अविरत बनी रहती है" को आर्थिक संवृद्धि के रूप में परिभाषित किया जाता है। आर्थिक विकास की अवधारणा निम्नलिखित तीन उद्देश्यों की प्राप्ति पर बल देती है-
(1) भोजन, आवास एवं संरक्षण जैसी आधारभूत जीवन पोषणीय वस्तुओं की उपलब्धता में वृद्धि तथा उनका व्यापक वितरण। तथापि यह वास्तविक प्रति व्यक्ति आय में तीव्र वृद्धि से ही सम्भव हो सकेगा।
(2) उच्च आय में वृद्धि के साथ-साथ जीवन स्तर को ऊँचा उठाना, अधिक वस्तुओं का प्रावधान, उत्तम शिक्षा तथा सांस्कृतिक एवं मानवीय मूल्यों पर अधिक ध्यान देना आदि, सभी न केवल भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि करेंगी, वरन् व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय आत्म सम्मान को भी सृजित करेंगी।
(3) व्यक्तियों एवं राष्ट्रों को आर्थिक एवं सामाजिक विकल्पों (Choice) का विस्तार करना ताकि वे न केवल अन्य व्यक्तियों और राष्ट्र राज्यों के दासत्व और परतंत्रता से मुक्त हो सकें, वरन् अज्ञानता एवं मानव बदहाली से भी मुक्ति पा सकें। आर्थिक विकास को अन्ततः " सकारात्मक स्वतंत्रता" में वृद्धि के रूप में मापा जाना चाहिए।
उपर्युक्त तीनों उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए जीवन की गुणवत्ता को विकास का एक महत्वपूर्ण निर्देशांक माना जाता है। 'गुणवत्ता' के इस मापन में अनेक घटक शामिल हैं, जैसाकि शिक्षा एवं साक्षरता दरें, जीवन प्रत्याशा, पोषण स्तर, प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत, आदि। इनमें से कुछ घटक जहाँ गैर-मौद्रिक हैं वहीं अन्यों को मुद्रा के रूप में मापा जा सकता है। आर्थिक विकास एवं जीवन की गुणवत्ता के मापन हेतु इन विभिन्न घटकों का सांश्लेषिक (Synthetic) निर्देशांक बनाए जाने की आवश्यकता है।
इस दिशा में निःसन्देह कुछ प्रयास किए गए हैं। इनमें से दो अति महत्वपूर्ण प्रयासों का उल्लेख करना समीचीन होगा -
(1) मानव विकास निर्देशांक
(2) आर्थिक विकास निर्देशांक।
मानव विकास निर्देशांक
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रतिवर्ष मानव विकास निर्देशांक तैयार किया जाता है। मानव विकास निर्देशांक को लोगों को उपलब्ध विकल्पों को बढ़ाने के रूप में परिभाषित किया जाता है। सिद्धान्त में पसन्द या विकल्प, अनन्त एवं समय के साथ परिवर्तनीय हो सकते हैं। लेकिन विकास के सभी स्तरों पर लोगों द्वारा स्वस्थ एवं दीर्घायु तक जीवन व्यतीत करने, ज्ञान प्राप्त करने तथा एक अच्छे जीवन स्तर हेतु आवश्यक संसाधनों तक पहुँच रखने जैसे तीन आवश्यक तत्व हैं। यदि लोगों को ये तीन मूलभूत चीजें उपलब्ध नहीं हैं तो, अन्य अनेक अवसर तो उनकी पहुँच से बहुत दूर हैं।
मानव विकास निर्देशांक (एच०डी०आई०) की गणना
मानव विकास निर्देशांक तीन संकेतकों पर आधारित है-
(1) जन्म के समय जीवन प्रत्याशा के रूप में मापित दीर्घायु,
(2) शैक्षणिक उपलब्धियां जैसाकि वयस्क साक्षरता (दो-तिहाई भारांकन) एवं सम्मिलित रूप से प्राथमिक माध्यमिक एवं तृतीयक नामांकन दरें ( एक-तिहाई भारांकन) के सम्मिलित स्वरूप से मापित है,
(3) प्रति व्यक्ति वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (अमेरिकी डॉलर में क्रय शक्ति क्षमता) के रूप में मापित जीवन स्तर।
निर्देशांक तैयार करने के लिए उपर्युक्त सूचकों के न्यूनतम एवं अधिकतम मान निर्धारित कर दिए गए हैं जो निम्नलिखित प्रकार हैं-
(1) जन्म के समय जीवन प्रत्याशा : न्यूनतम 25 वर्ष, अधिकतम 85 वर्ष
(2) वयस्क साक्षरता दर : न्यूनतम 5 प्रतिशत, अधिकतम 100 प्रतिशत
(3) सम्मिलित सकल नामांकन दर : न्यूनतम 0 प्रतिशत, अधिकतम 100 प्रतिशत
(4) अमेरिकी डॉलर में क्रय शक्ति क्षमता के रूप में मापित प्रति व्यक्ति वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद : न्यूनतम 100 अमेरिकी डॉलर, अधिकतम 4000 अमेरिकी डॉलर।
मानव विकास निर्देशांक के किसी भी घटक के लिए निम्नलिखित सूत्र से व्यक्तिगत संकेतांक की गणना की जा सकती है-
संकेतक = ------------------------------------------------
अधिकतम मान - न्यूनतम मान
मानव विकास निर्देशांक जीवन प्रत्याशा संकेतक, शैक्षणिक उपलब्धि संकेतक एवं समायोजित प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद ( क्रय शक्ति क्षमता द्वारा आकलित अमेरिकी डॉलर) का साधारण औसत है। जो इन तीनों संकेतकों के योग को तीन से भाग देने पर प्राप्त होता है।
मानव विकास रिपोर्ट, 2004 में 177 देशों के लिए आकलित मानव विकास निर्देशांकों को घटते क्रम में प्रस्तुत किया है जिसमें भारत 127वें स्थान पर है।
आर्थिक विकास निर्देशांक
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अनुप्रयोगात्मक आर्थिक अनुसंधान परिषद (एन०सी०ए०ई०आर०) ने आर्थिक विकास का एक नवीन माप विकसित किया है जिसे आर्थिक विकास निर्देशांक कहा जाता है।
आर्थिक विकास निर्देशांक मानव विकास निर्देशांक की अवधारणा को और आगे ले जाता है। यह तीन घटकों पर आधारित है-
(1) स्वास्थ्य प्राप्ति निर्देशांक,
(2) शिक्षा प्राप्ति निर्देशांक तथा
(3) प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद।
(1) स्वास्थ्य प्राप्ति निर्देशांक शिशु मृत्यु दर, कुल प्रजनन दर तथा अशोधित मृत्यु दर का एक फलन है।
(2) शिक्षा प्राप्ति निर्देशांक माध्यमिक या उच्च प्राथमिक विद्यालय एवं विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों में सकल नामांकन का समान भारांकित संकेतांक है।
भारत में विभिन्न अवधियों के लिए आर्थिक विकास सूचकांक की गणना की गई है जो निम्नलिखित प्रकार है-
एन०सी०ए०ई०आर० के अवलोकन केवल एक बार का ही मामला नहीं है। यह मॉडल स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर सरकारी व्यय नीतिगत परिवर्तनों तथा उत्पाद, कीमतें एवं चालू खाते के सन्तुलन और मानव विकास समष्टि आर्थिक चरों पर सार्वजनिक निवेश तथा कर दरों में परिवर्तनों का भी विश्लेषण कर सकता है।
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- प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
- प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
- प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
- प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
- प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
- प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
- प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
- प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
- प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
- प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
- प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
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- प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
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- प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
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- प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
- प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
- प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
- प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
- प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
- प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
- प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
- प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?